उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम को लेकर उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने आज सीजीएम कोर्ट में उनके खिलाफ वाद दायर किया है।
हरिद्वार। उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम को लेकर उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने आज सीजीएम कोर्ट में उनके खिलाफ वाद दायर किया है।
अधिवक्ता भदौरिया ने बद्रीनाथ धाम के बारे में बताया कि आज भी बद्रीनाथ धाम में 6 महीने इंसान और 6 महीने देवता भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। सर्दी काल में जब 6 महीने के लिए मंदिर बंद हो जाते हैं और जब कपाट खुलते हैं तो आज भी 6 महीने लगातार ज्योत जलती हुई मिलती है। इसके साथ ही बद्रीनाथ धाम में सतयुग और त्रेता युग में भी भक्तों को और देवताओं को साधुओं को भगवान विष्णु के दर्शन होते रहे हैं। इन सभी कारणों से वादी ने अपनी धार्मिक भावनाएं बद्रीनाथ धाम से जुड़ा होना बताया है।
अधिवक्ता भदौरिया ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य का यह बयान कि बद्रीनाथ धाम को बौद्ध मठ को तोड़ने के बाद बनाया गया, ऐसा कहा जाना सनातन की धार्मिक भावनाओं में ठेस पहुंचाने वाला है। उन्होंने अपने वाद में न्यायालय के समक्ष बताया कि स्वामी प्रसाद मौर्य के पास बयान देने का ना तो कोई अधिकार था और ना है। स्वामी प्रसाद मौर्य एक अधिवक्ता भी रहे हैं। इस संबंध में बद्रीनाथ धाम के बारे में सब कुछ जानने के बावजूद उन्होंने सनातन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान भड़काऊ और सनातन धर्म के विरुद्ध है। इससे पूर्व में ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने साधु-संतों को गेरुआ आतंकवादी बताया था। रामचरित मानस और सुंदरकांड के लिए भी उन्होंने पहले विवादित बयान दिया था।
उन्होंने यही आरोप लगाकर अपना वाद सीजेएम काेर्ट में दायर किया है। इस वाद की सुनवाई के लिए सीजेएम संगीता आर्य की कोर्ट में 4 अगस्त की तारीख नियत की गई है।